जर्मनी में चांसलर ओलाफ शोल्ज के खिलाफ संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग में अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया है। रॉयटर्स के मुताबिक सोमवार को जर्मनी के 733 सीटों वाले निचले सदन में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर वोटिंग की गई। इसमें 394 सदस्यों ने शोल्ज के खिलाफ वोट दिया, 207 सांसदों ने उनका समर्थन किया, जबकि 116 सदस्यों ने मतदान में भाग नहीं लिया। शोल्ज को बहुमत हासिल करने के लिए 367 सांसदों का समर्थन हासिल करना जरूरी था। वोटिंग के नतीजे आने के तुरंत बाद ही चांसलर ओलाफ शोल्ज ने जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर से संसद को भंग करने और नया चुनाव कराने की अपील की है। जर्मनी में चांसलर भारत में प्रधानमंत्री की तरह होता है। चांसलर शोल्ज ने विश्वास मत हासिल करने के लिए 15 जनवरी तक का वक्त मांगा था। अब संविधान के मुताबिक जर्मन राष्ट्रपति को 21 दिनों में जर्मन संसद के निचले सदन को भंग करके 60 दिन के भीतर नए सिरे से आम चुनाव कराने होंगे। अगर ऐसा होता है तो देश में वक्त से 7 महीने पहले चुनाव होंगे। 2021 में हुए आम चुनाव में शोल्ज की SDP पार्टी को 206, ग्रीन्स पार्टी को 118 और फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी को 92 सीटें हासिल हुई थीं। तीनों पार्टियों ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी। बजट में कटौती को लेकर टूटा गठबंधन
जर्मनी में इस राजनीतिक संकट की शुरुआत तब हुई थी, जब चांसलर शोल्ज ने नवंबर में अपने वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर को बर्खास्त कर दिया था। शोल्ज के इस फैसले के बाद उनकी SDP पार्टी का ग्रीन्स पार्टी और क्रिश्चियन लिंडनर की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी से तीन साल पुराना गठबंधन टूट गया था। गठबंधन टूटने के बाद उनकी सेंटर लेफ्ट सरकार अल्पमत में आ गई थी। गठबंधन टूटने की वजह देश में 2025 के संघीय बजट को लेकर हो रहा विवाद था। दरअसल, रूस-यूक्रेन जंग को लेकर जर्मनी की इकोनॉमी गड़बड़ा गई है। जर्मनी, अमेरिका के बाद यूक्रेन की सबसे ज्यादा आर्थिक मदद कर रहा है। जर्मन इकोनॉमी को ठीक करने के लिए चांसलर वित्तीय संस्थाओं से ज्यादा कर्ज लेना चाहते थे, लेकिन वित्त मंत्री इसका विरोध कर रहे थे। वे खर्च में कटौती पर जोर दे रहे थे। जर्मन वेबसाइट डायचे वेले के मुताबिक चांसलर शॉल्ज यूक्रेन सहायता पैकेज को 27 हजार करोड़ रुपए से 1.63 लाख करोड़ रुपए करना चाहते थे। वित्त मंत्री ने इसे नकार दिया था। इसे लेकर शॉल्ज ने कहा कि लिंडनर को दुनिया की फिक्र नहीं है। वह छोटे मकसद पर ध्यान लगाए बैठे हैं। इसके जवाब में लिंडनर ने कहा कि वे देश की जनता पर और टैक्स लादना नहीं चाहते थे। इसके बाद SDP और ग्रीन्स पार्टी ने लिंडनर के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उनका यह फैसला सरकार के ज्यादातर प्रोग्राम को फेल कर देगा। गठबंधन के टूटते ही शोल्ज ने लिंडनर पर छोटी सोच और अहंकारी होने का आरोप लगाया था। कैसे चुना जाता है चांसलर
भारत की तरह जर्मनी में भी लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था है, लेकिन चांसलर चुनने का तरीका अलग है। भारत में चुनाव के पहले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा जरूरी नहीं है। जर्मनी में सभी दलों को चांसलर कैंडिडेट का नाम बताना जरूरी है। इसी के नाम और चेहरे पर चुनाव लड़ा जाता है। अगर उसकी पार्टी या गठबंधन चुनाव जीत जाता है तो उसे बुंडेस्टाग में बहुमत जुटाना होता है। कैसे बनती है सरकार
अगर किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत हासिल हो जाता है तो कोई दिक्कत नहीं। अगर ऐसा नहीं होता तो चुनाव के बाद भी हमारे देश की तर्ज पर गठबंधन या समर्थन से सरकार बनाई जा सकती है। साझा कार्यक्रम तय होता है। इसकी जानकारी संसद को देनी जरूरी है। चुनाव के बाद 30 दिन के भीतर संसद की बैठक होती है। सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद किसी पार्टी को नहीं मिला बहुमत
जर्मनी में सेकेंड वर्ल्ड वॉर में हिटलर के पतन के बाद आजतक किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। तब से लगातार जर्मनी में गठबंधन की सरकार चल रही हैं। हालांकि हिटलर ने भी गठबंधन की सरकार बनाई थी। बाद में संसद भंग करके आजीवन चांसलर बन गया था। ————————————— यह खबर भी पढ़ें… ट्रम्प बोले- पुतिन से डील करने को तैयार रहें जेलेंस्की:यूक्रेन को जंग रोकने के लिए समझौता करना होगा, युद्ध की भरपाई में 100 साल लगेंगे अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की को लगभग 3 साल से जारी जंग को रोकने के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत के लिए तैयार रहना चाहिए। यहां पढ़ें पूरी खबर…
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