सीरिया के दूसरे सबसे बड़े शहर पर विद्रोहियों का कब्जा:एयरपोर्ट, अस्पताल बंद, 250 लोगों की मौत; सरकार की मदद के लिए पहुंची रूसी सेना

सीरिया में विद्रोही गुट ने देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो और इदलिब के आधे से ज्यादा इलाके पर कब्जा कर लिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक विद्रोही गुट में हयात तहरीर अल-शम (HTS) और उसके सहयोगी संगठन शामिल हैं। इन्हें अलकायदा का समर्थन हासिल है। साल 2016 में सीरियाई सेना ने विद्रोहियों को खदेड़ दिया था। 8 साल में पहली बार है जब किसी विद्रोही गुट ने अलेप्पो पर कब्जा किया है। HTS ने 27 नवंबर को हमला किया था और शहर के अंदर घुस कर कई मिलिट्री ठिकाने पर कब्जा कर लिया था। सीरिया सरकार ने शनिवार को अलेप्पो एयरपोर्ट, हॉस्पिटल और शहर से जुड़ी सभी सड़कों को बंद कर दिया है। इस बीच रूस, सीरियाई सरकार की मदद में जुट गया है। मॉस्को टाइम्स के मुताबिक रूसी सेना ने शुक्रवार को विद्रोहियों और उनके हथियार गोदामों पर घातक बमबारी की। रूसी सेना ने दावा किया है कि पिछले 24 घंटे में विद्रोहियों के 23 ठिकानों पर हमला किया और 200 से ज्यादा विद्रोहियों को मार दिया। 3 दिन पहले शुरू हुआ यह हमला बशर अल-असद सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। अब तक हुई झड़पों में दोनों तरफ के 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। मैप में अलेप्पो और इदलिब की लोकेशन… रूस ने सहयता भेजी, ईरान भी कर सकता मदद
रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति असद के दो सबसे बड़े सहयोगी ईरान, हिजबुल्लाह और रूस दूसरे मामले में उलझे हैं। रूस, यूक्रेन से जंग लड़ रहा है, वहीं, ईरान और हिजबुल्लाह, इजराइल के साथ उलझे हुए हैं। इन तीनों ने असद सरकार को गृहयुद्ध से निपटने में अहम भूमिका निभाई थी। सीरिया, ईरान के लिए जरूरी है क्योंकि हिजबुल्लाह और हमास तक हथियार पहुंचाने के लिए ईरान, सीरिया का इस्तेमाल करता है। ऐसे में जल्द ही ईरान, सीरिया को हथियार मुहैया करा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक ईरान समर्थक इराकी मिलिशिया सीरिया जा सकते हैं। इन मिलिशिया में कताइब हिजबुल्लाह, असाइब अहल अलहक, हरकत अल नुजबाह शामिल हैं। सीरिया में 2011 में शुरू हुआ गृहयुद्ध 2011 में अरब क्रांति के साथ ही सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत हुई थी। साल 2000 से सीरिया के सत्ता में काबिज बशर अल असद की तानाशाही सरकार के खिलाफ लोकतंत्र समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए थे। इसके बाद एक फ्री सीरियन आर्मी के नाम से एक विद्रोही गुट तैयार हुआ। विद्रोही गुट के बनने के साथ ही सीरिया में गृहयुद्ध की शुरुआत हो गई थी। इसमें अमेरिका, रूस, ईरान और सउदी अरब के शामिल होने के बाद ये संघर्ष और बढ़ता गया। इस बीच यहां आतंकवादी संगठन ISIS ने भी अपने पैर पसार लिए थे। 2020 के सीजफायर समझौते के बाद यहां सिर्फ छुटपुट झड़प ही हुई हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक एक दशक तक चले गृहयुद्ध में 3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए थे। इसके अलावा लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। सीरिया के गृहयुद्ध में तबाह हो गया अलेप्पो शहर 1986 में UNESCO से वैश्विक धरोहर का दर्जा हासिल करने वाला और दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक अलप्पो शहर 2012 के आते-आते सीरिया के गृह युद्ध की अहम जगह बन गया था। सीरिया का अलेप्पो शहर न सिर्फ वैश्विक धरोहर बल्कि देश की अर्थव्यवस्था का केंद्र भी था, खूबसूरत मस्जिदों और कलाकृतियों से सजा हुआ यह शहर देखते ही देखते अपनों के हाथों ही तबाह हो गया। जुलाई 2012 तक अलेप्पो दो हिस्सों में बंट चुका था, जिसका एक हिस्सा फ्री सीरियन आर्मी के पास था और दूसरा बशर अल-असद के कब्जे में। सरकार की मदद करने वाले देशों में रूस, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, लेबनान और पाकिस्तान शामिल था। वहीं विद्रोहियों को अमेरिका, सऊदी अरब और तुर्किये से मदद मिल रही थी। सरकार के हवाई हमलों में वह सारी खूबसूरत कलाकृतियां मस्जिद और सांस्कृतिक धरोहर खो गई जिसके लिए यह शहर जाना जाता था। ————————————— सीरियाई गृहयुद्ध को विस्तार से जानने के लिए ये खबर पढ़ें…. सीरिया गृह युद्ध के 12 साल पूरे हुए:सिर्फ अलेप्पो में 51 हजार लोग मारे गए, खंडहर में बदला शहर; जंग के बारे में सब कुछ कल्पना कीजिए कि जिस शहर या गांव में आप ने जन्म लिया, जहां आपने बचपन बिताया वो खंडहर में तब्दील हो जाए। जो गलियां कभी बाजार की चहल-पहल में व्यस्त होती थीं, वो जंग के मैदान में बदल जाएं और अपने ही अपनों की जान ले रहे हों। पूरी खबर यहां पढ़ें….

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